रेड - डेटा बुक क्या है , इसकी पूरी जानकारी के बारे में , UPTET, CTET, BEd की परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

  रेड - डेटा बुक ( The Red - data Book ) 


प्राकतिक संरक्षण की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ( International Union for Conservation of Nature and Natural Resources - IUCN ) ने अपने अधीनस्थ ' सरवाइवल सर्विस कमीशन ' ( Survival Service | Commission ) संस्थान के द्वारा एक विशेष लाल किताब ( Red Book ) का प्रकाशन किया है । इसमें सभी प्रकार की वन्य जीवों सम्बन्धी जानकारी - ( 1 ) लुप्त हो रही जीव - प्रजातियाँ , ( 2 ) उनके आश्रय स्थल . ( 3 ) वर्तमान में उपलब्ध जीवों की संख्या और ( 4 ) लुप्त हो रहे अथवा कम हो रहे जीवों के कारण , दी गई है । इसी पुस्तक में विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न वन्य प्राणियों की लुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने के लिए मार्गदर्शन भी दिया गया है ।

 इसकी अब तक पाँच पुस्तकें अन्तर्राष्ट्रीय रेड - बुक ( International Red Book ) प्रकाशित हो चुकी ह , जिसकी प्रथम पुस्तक का प्रकाशन 1 जनवरी , 1972 को हुआ था ।

इनका संक्षिप्त विवरण निम्न है

1 . प्रथम पुस्तक -  236 प्रजातियाँ ( 292 उप - प्रजातियाँ )  - स्तनधारी ( Mammals )

2 . द्वितीय पुस्तक - 287 प्रजातियाँ ( 341उप - प्रजातियाँ ) - पक्षी ( Birds )

3 . तृतीय पुस्तक. - 36 प्रजातियाँ एवं उप - प्रजातियाँ तथा 119 प्रजातियाँ एवं उप - प्रजातियाँ  -  मरुस्थलीय उभयचर  ( Amphibians )  सरीसृप  - रेंगने वाले ( Reptiles )

4 . चतुर्थ पुस्तक  -  दुर्लभ एवं अप्राप्य प्रजातियाँ एवं उप - प्रजातियाँ - मछलियाँ ( Fishes )

  5 . पंचम पुस्तक - दुर्लभ एवं अप्राप्य प्रजातियाँ एवं उप - प्रजातियाँ  - पौधे - वनस्पतियाँ ( Plants  )


 प्रत्येक रेड - बुक में प्रजातियों का निम्नलिखित चार मुख्य भागों में वर्णन है -

1 . लुप्त प्राय या लुप्त हो रही प्रजातियाँ जिनके बचाव का पूरा ध्यान रखना आवश्यक है ( यह जानकारी लाल रंग के पृष्ठो पर मुद्रित है ) । 
2 . ऐसी दुर्लभ प्रजातियाँ जो संख्या में बहुत कम हैं और कुछ निश्चित स्थानों पर ही उपलव्ध हैं । इनके बारे में यह आशंका है कि यह कहीं समाप्त न हो जायें ( यह जानकारी सफेद रंग के पृष्ठों पर मुद्रित है ) । 

3 . लुप्त हो रही ऐसी प्रजातियाँ जिनकी संख्या निरन्तर और तेजी से कम होती जा रही है ( यह - जानकारी पीले रंग के पृष्ठों पर मुद्रित है ) । 

4 . ऐसी प्रजातियाँ जिनके बारे में आशंका है कि वह कम हो रही हैं , पर जिनके बारे में पूरा विवरण उपलब्ध नहीं है ( यह जानकारी पुस्तक के अन्त में भूरे रंग के पृष्ठों पर मुद्रित है ) ।

विशेष : बाद में एक भाग उन प्रजातियों के लिए भी जोड़ा गया है , जिन्हें बचा लिया गया है ( उनके लिए हरे पृष्ठ लगे हैं । 

राष्ट्रीय स्तर पर भी रेड - बुक बनाई गई हैं और इनमें राष्ट्र स्तर की नियमित प्रविष्टियों के किये जाने का प्रावधान है । वास्तव में यह वन्य जीव , पौधे तथा वनस्पतियों की रक्षा के लिए एक ऐसा प्रयास है जिससे दुर्लभ अथवा कम होने वाली प्रजातियों को पूर्ण वैज्ञानिक रूप से बचाने की योजना बनाने तथा उसी क्रियान्विति का अवसर मिलता है ।

Author
आलोक वर्मा ( कृषि परास्नातक ) 
शस्य विज्ञान, बीएड