कृषि यन्त्र , कृषि विज्ञान

कक्षा - 7 कृषि विज्ञान

इकाई - 6 कृषि यन्त्र

  • जुताई के यन्त्र , हलों के प्रकार 
  • मेस्टन , शाबाश एवं तवेदार हलों का ज्ञान 
  • अन्य कृषि यंत्र - कल्टीवेटर के कार्य एवं प्रकार , हैरो के कार्य एवं प्रकार , गार्डेन रैक डिबलर , करहा , मड़ाई के यन्त्र - श्रेसर के साथ , सीडड्रिल , पैडी शर , मेज कार्नशेकर , हारवेस्टर , रोटावेटर , सीड कम फर्टीड्रिल , पोटैटो प्लान्टर आदि । 


 फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए कृषि कार्यों को सही समय पर सही तरीके से करना आवश्यक होता है । हमारे देश के कृषि विकास में कृषि यन्त्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्नत कृषि मन्त्रों द्वारा विभिन्न कृषि कार्यों जैसे भू - परिष्करण , भूमि समतलन , बुवाई , निराई , गुड़ाई , कटाई और मड़ाई को सही समय पर करने में काफी सहायता मिलती है । बुवाई के पहले खेत की मिट्टी को काटकर बुवाई के योग्य बनाया जाता है । इसे भू - परिष्करण या खेत की जुताई कहते हैं । भूमि की जुताई से भूमि की भौतिक दशा में सुधार होता है तथा भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है । जुताई से खरपतवार नष्ट होते हैं तथा भूमि के वायु संचार में भी वृद्धि होती है ।

 भू - परिष्करण यन्त्र दो प्रकार के होते हैं

 1 . प्राथमिक स - परिष्करण यन्त्र - खेत में बुवाई के पहले की कृषि क्रियाओं को प्राथमिक भू - परिष्करण कहते । हैं । प्राथमिक भू - परिष्करण में प्रयुक्त होने वाले यंत्र को प्राथमिक भू - परिष्करण यन्त्र कहते हैं । 

2 . द्वितीयक म - परिष्करण अन्न - बुवाई के बाद खड़ी फसल में की जाने वाली कृषि क्रियाएं जैसे - निराई । _ गुड़ाई , मिट्टी चढाना , कूड बनाना आदि को द्वितीयक भू - परिष्करण कहते हैं तथा इन कार्यों को सम्पन्न करने । में प्रयुक्त यंत्रों को द्वितीयक भू - परिष्करण यंत्र कहते हैं । 

उपर्युक्त दोनों प्रकार के भू - परिष्करणों में प्रयोग आने वाले यन्त्र भी अलग - अलग होते हैं । जताई के यन्त्रों को । निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है 
( अ ) पशुओं द्वारा चालित यन्त्र । 
( ब ) ट्रैक्टर द्वारा चालित यन्त्र । 

भूमि की जुताई में प्रयुक्त होने वाले पशु द्वारा चालित प्रमुख यन्त्र निम्नलिखित हैं - 

1 . सुघरा हुआ देशी हल 
2 . मिट्टी पलटने वाले हल 
3 . तवेदार हल 
4 . कल्टीवेटर 
5 . हैरो 

1. देशी हल - यह हल प्राय : लकड़ी का बना होता है । इसमें जमीन का काटकर अलग करता है। इसमें न को बैलों द्वारा खींचने के लिए हरीस लगी होती है । किसानों के लिए यह एक उपयोगी लगा होता है । हल को बैलों द्वारा खींचने के लिए हरीसल है । इससे जुताई के अलावा बवाई और निराई का भी काम किया जाता है । 

2 . मिट्टी पलटने वाले हल - इस प्रकार के हल मिटटी को काटने के साथ - साथ पलटन का भा काम करत य हल भूमि के प्रकार , नमी तथा पशु शक्ति के अनुसार कई प्रकार के होते हैं । जैसे मेस्टन हल , वाह - हल , शाबाश हल आदि । 

3 . मेस्टन हल - मेस्टन हल हल्का और छोटा होता है । इसको साधारण बैल सुगमता से खींच सकते हैं । इसके चलाने में बैलों पर लगभग उतना ही बल पड़ता है जितना कि देशी हल के खीचने में । यह देशी हल की अपेक्षा अधिक काम करता है साथ ही यह मिट्टी की गहरी जुताई करता है और उसे पलटने का भी कार्य करता रचना - मेस्टन हल में देशी हल की भाँति ही हरीस और हत्था लगा होता है लेकिन इसमें मिट्टी पलटने वाला भाग बड़ा होता है जिसे मोल्ड बोर्ड कहते हैं । इसका फाल ( Share ) भिन्न प्रकार का होता है जो चौड़ी कूड़ बनाता है । भूमि में चलाने पर फाल जो मिट्टी काटता है वह मोल्ड बोर्ड पर आ जाती है । इस मिट्टी मोल्ड बोर्ड अपनी विशेष बनावट के कारण पलट देता है । इस प्रकार ऊपर की मिट्टी नीचे तथा नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाती है । हमारे प्रदेश की दोमट मिट्टी में यह ज्यादा उपयोगी सिद्ध हुआ है । इसके कूड़ की चौड़ाई तथा गहराई लगभग 12 . 5 सेमी होती है । हल का कल भार लगभग 15 किग्रा होता है और इसका खिंचाव 80 से 90 किग्रा होता है । देशी हल के समान ही इस हल को गहरा तथा उथला किया जा सकता है । इस हल का हत्था तथा हरीस लकड़ी का तथा शेष भाग लोहे का बना होता है । 

4 . शाबाश हल - यह मेस्टन हल की भाँति लोहे बना होता है । इसका फाल पक्के इस्पात का बना होता है । यह हल दोमट मिट्टी अच्छा काम करता है । इससे जुताई को गहरा और उथला किया जा सकता है । घिस जाने पर फाल को भट्टी में गर्म करके पीटकर तेज किया जाता
है । रचना - इसमें देशी हल की तरह लकड़ी की एक लम्बी हरीस बनी होती है । मुठिया तथा हत्था भी लकड़ी या लोहे की बनी होती है । इसमें एक स्टैण्ड लगा होता है जिसमें छिद्र होते हैं । कूड़ की गहराई घटाने बढ़ाने के लिए हरीस का बोल्ट खोलकर स्टैण्ड के ऊपर अथवा नीचे वाले सूराख ( छिद्र ) में लगा दिया जाता है । इस हल के हरीस और फाल के बीच जगह अधिक होती है जिससे खरपतवार और घास वाले खेत में जुताई करने पर घास कम फंसती है । इसका भार 16 किग्रा तथा खिंचाव लगभग 90 से 100 किया होता है ।


5 . तवेदार हल - इस प्रकार के हल का प्रयोग चट्टानी तथा अधिक घास पात वाली जमीन में किया जाता है । यह हल कड़ी एवं चिकनी जमीन की जुताई करने के काम आता है । इस हल द्वारा जुताई करने के बाद
खरपतवार जमीन के ऊपर आ जाते हैं जो जमीन में नमी बनाए रखने में सहायक होते हैं । इन हलों में फाल के स्थान पर लोहे के दो या तीन तवे लगे होते हैं जिनका व्यास लगभग 45 सेमी होता है । 

6 . कल्टीवेटर - भूमि की तैयारी के अन्तिम चरण में कल्टीवेटर का प्रयोग मुख्यतः मिट्टी को भुरभुरी बनाने लिए किया जाता है परन्तु कुछ किसान इसे मिट्टी पलटने वाले या तवेदार हलों के स्थान पर भी प्रयोग करते हैं । यह यन्त्र जमीन की पपड़ी तोड़ने , ढेले तोड़ने के साथ - साथ सूखी घास को जमीन के ऊपर लाने सहायक होता है । कल्टीवेटर को एक जोड़ी बैलों द्वारा खींचा जा सकता है । 

5 . हैरो - हल द्वारा जुताई के बाद जमीन की उथली जुताई हैरो से की जाती है । हैरो चलाने का मुख्य उद्देश्य जमीन को भुरभुरा करना तथा भूमि की नमी को सुरक्षित रखना है । इसका प्रयोग बुवाई से तुरन्त पहले किया
जाता है जिससे बीज बोते समय खेत में खरपतवार न रहें । बैलों द्वारा चालित हैरो निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -

( अ ) कमानीदार हैरो 
( ब ) तवेदार हैरो
( स ) ब्लेड हैरो या बक्खर 

भू- परिष्कारण में काम आने वाले ट्रेक्टर चालित यन्न । 

1 . मोल्डबोर्ड हल ( मिट्टी पलट हल ) - यह एक प्राथमिक भू - परिष्करण यन्त्र है । इसे मिट्टी पलट हल कहते हैं । यह उन परिस्थितियों में बहुत उपयोगी होता है जहाँ भूमि की मिट्टी को पूरी तरह पलटना आवश्यक है । फालों की संख्या ट्रैक्टर के शक्ति के ऊपर निर्भर करती है । ये ज्यादातर 2 या 3 फाल वाले होते हैं इसका मुख्य भाग हल का बाटम होता है जो कूड़ खोदने , मिट्टी को भरभरी बनाने , मिट्टी को पलटने तथा खरपतवार को दबाने का काम करता है । कुछ मोल्डबोर्ड हलों में दो बाटम लगे होते हैं परन्तु मिट्टी पलटने का प्रावधान एक बार में एक तरफ ही होता है । इसे रिवर्सिबुल मोल्डबोर्ड हल भी कहते हैं । 

2 . डिस्क हल वा तवेदार हल - यह भी एक प्राथमिक भू - परिष्करण यन्त्र है । यह सख्त पथरीली , सुखी और चिपकने वाली भूमि की जुताई के लिए बहुत उपयोगी है । इसमें 24 से 28 इंच व्यास वाले तवे लगे होते हैं । यह मिट्टी को काटने व पलटने दोनों का काम करता है । 


3 . हैरो - यह एक ट्रैक्टर चालित द्वितीय भू - परिष्करण यन्त्र है । यह जुताई के बाद देलों को फोड़ने , खरपतवार को काटकर मिट्टी में मिलाने और बीज शैय्या को भुरभुरा करने के काम आता है । ये तीन प्रकार के होते हैं -

( अ ) सिंगल एक्शन डिस्क हैरो ।
( ब ) डबल एक्शन डिस्क हैरो ।
( स ) आफ सेट डिस्क हैरो । 

सिंगल एक्शन हैरो को अधिक बार चलाने से जमीन ऊँची - नीची हो जाती है । अत : इसका प्रयोग बहुत कम होता । सबसे अधिक प्रयोग होने वाला हैरो डबल एक्शन डिस्क हैरी है । इस हैरो से खेत ऊँचा - नीचा नहीं होता है । आफ सेट डिस्क हैरो का उपयोग फलदार वृक्षों के आस पास जुताई करने में होता है । 

4 . कल्टीवेटर - यह भी एक द्वितीयक भू - परिष्करण यन्त्र है । यह यंत्र जुताई और निराई - गुड़ाई के काम आता है । इसे चलाने के बाद घास फूस और जीवाणु भूमि से बाहर आ जाते हैं जो सूर्य की गर्मी से नष्ट हो जाते हैं । सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाला कल्टीवेटर कानपुर एवं वाह वाह कल्टीवेटर है । काँटेदार कल्टीवेटर का उपयोग करीब 2 इंच गहराई तक की जुताई के लिए होता है । सिंग टथ कल्टीवेटर करीब 4 - 5 इंच तक की जुताई के लिए उपयोगी होता है । आन्या कृषि बन्छ 1 . गार्डन रेक - इनका उपयोग किचेन गार्डेन और नर्सरी के लिए जमीन तैयार करने में होता है । इनमें 10 - 16 दाँते होते हैं । ये पत्तियों इत्यादि को इकट्ठा करने के उपयोग में भी आते हैं ।


2 . लेवलिंग करहा ( LevellingKarhal - यह यंत्र खेत को समतल करने के काम आता है । इसे लोहे के चादर को मोड़कर बनाया जाता है और चादर के पीछे मजबूती के लिए लकड़ी का ढाँचा लगा रहता है । ऊपर की ओर लकड़ी का हत्था लगा होता है तथा सामने की ओर इसमें दो कड़े लगे होते हैं जिसमें जंजीर डालकर उसे बैलों से जोड़ा जाता है । इसके द्वारा खेत की ऊंची जगह की मिट्टी को खींचकर नीची जगह पर गिरा देते हैं और इस प्रकार धीरे - धीरे खेत समतल हो जाता है । इसको चलाने के लिए एक आदमी और एक जोड़ी बैल की आवश्यकता होती है ।

3 . डिवलरब - यह एक बुवाई यन्त्र है । यह खेत में छिद्र बनाता है और छिद्रों में बीजों को डाला जाता है । इस यंत्र का प्रयोग सब्जियों या ऐसी फसलों के लिए किया जाता है जहाँ पौधे से पौधे को उचित दूरी पर रखना है । डिबलर का प्रयोग प्राय : उस भूमि में किया जाता है जहाँ भूमि भारी वर्षा एवं बाढ़ के बाद जुताई योग्य नहीं रह जाती है । 

4 . सीडड्रिल - यह एक ट्रैक्टर चालित बुवाई का यंत्र है । इसमें 7 से 13 फाल लगे होते हैं । इसमें बीज का एक बॉक्स लगा होता है । इसको जैसे - जैसे खेत में चलाया जाता है बॉक्स से बीज एक निश्चित दूरी पर खेत में गिरते रहते हैं । आज कल इनके साथ एक और बॉक्स लगा होता है जो बीज के साथ - साथ खाद गिराने के काम आता है । इसको ट्रैक्टर चलित बीज एवं उर्वरक डिल कहते हैं । 

कटाई के यन्त्र 

फसलों की कटाई के लिए मुख्य रूप से हँसिया का प्रयोग किया जाता है । हँसिया दो प्रकार के होते हैं । 

1 . साधारण हँसिया 2 . दातेदार हँसिया 

साधारण हसिया लोहे की ब्लेड को घुमाकर अर्ध चन्द्राकार बनाया जाता है जिस पर एक लकड़ी का हत्था लगा रहता है । यह बिना ोता है । ब्लेड के भीतर की ओर तेज धार होती है जो कटाई का कार्य करती है । इसका उपयोग भारी भूमि में उगी फसलों को काटने में किया जाता है । दाँतेदार हँसिया भी लोहे की ब्लेड से ही बनाया जाता है जो साधारण हँसिये की तुलना में कम प्रमावदार होता है । ब्लेड के भीतरी हिस्से पर घने दति बने रहते हैं । जो फसल को शीघ्र काटने में सहायक होते हैं । इसको पकड़ने के लिए एक लकड़ी का हत्था लगा रहता है । 

मड़ाई के यन्त्र 

कटाई के बाद फसल की मड़ाई ( Threshing ) आवश्यक है । इसमें फसलों के दानों को निकाला जाता है । जो यन्त्र इस काम में प्रयोग होते हैं उन्हें मड़ाई के यन्त्र कहते हैं । इन यन्त्रों द्वारा मड़ाई के साथ - साथ ओसाई का भी काम हो जाता है । मडाई के यन्त्रों को दो भागों में बाँटा जा सकता है - 

1 . बैल चालित ऑलपैड थ्रेसर - यह यंत्र बैलों द्वारा खींचा जाता है ।
2 . शक्तिचालित मडाई यन्त्र - यह यंत्र विद्युत माटर , ट्रॅक्टर या डीजल इंजन से चलता है । इस यंत्र द्वारा मडाई ओसाई और सफाई का काम एक साथ किया जाता है । इससे एक घंटे में 2 से 10 क्विटल अनाज की मड़ाई कर सकते हैं । इसका प्रचलित नाम थ्रेशर है । 

3 . भुटट दाना निकालने का यन्त्र ( सेज कार्न शैलर ) - यह यन्त्र मक्के के भुट्टे से दाना निकालने के काम आता है । यह यन्त्र नलिकाकार होता है जो एक गोल पाइप का बना होता है । भूट्टे से दाना निकालते समय इस यन्त्र को बाँए हाथ में पकड़ते हैं तथा मक्के का भुट्टा दाहिने हाथ में रखते हैं ।

4 . हार्वेस्ट - खडी फसल को काटने , मड़ाई करने और साथ ही सफाई करने के काम आता है । इससे मुख्यत : गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम लिया जाता है । यह दो प्रकार का को

1 . ट्रैक्टर चालित 
2 . स्वचालित या सेल्फ़ प्रोपेल्ड 
ट्रैक्टर चालित तथा स्वचालित हारवेस्टर में इंजन लगा होता है जो हारवेस्टर को पर्याप्त शक्ति प्रदान करता है । इसका प्रयोग प्रायः बड़े आकार के खेतों एवं फामों पर किया जाता है । 

 पैडी थ्रेसर - यह धान की मड़ाई का यन्त्र है । यद्यपि यह बाजार में कई मॉडलों में उपलब्ध है परन्तु खेतों में इसका प्रयोग बहुत कम हो रहा है । 

 रोटावेटर 

यह यंत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक भू - परिष्करण में प्रयोग होता है । रोटावेटर 6 इंच गहराई तक की मृदा को भुरभुरी करने में सहायक होता है । खरपतवार को नष्ट करने का कार्य आसानी से रोटावेटर द्वारा किया जा सकता है । 

सीड कम फर्टीड्रिल

सीड कम फर्टीड्रिल बीजों की बुवाई तथा खाद एवं उर्वरक एक साथ प्रयोग करने के काम आता है । बुवाई के साथ ही खाद एवं उर्वरक का प्रयोग होने के कारण समय एवं लागत की बचत होती है । इसका प्रयोग दाने वाली फसलों की बुवाई हेतु उपयुक्त रहता है ।

 पोटैटो प्लान्टर 

' इस यंत्र का प्रयोग आलू को बुवाई के लिए किया जाता है । बुवाई के साथ यह मेंड़ बाँधने एवं खाद डालने का भी कार्य करता ।