"बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक" सर्वेक्षण कार्य कैसे किया जाता है

सर्वेक्षण कार्य

“बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक“

 

प्रस्तावना -  

वर्तमान युग प्रचालन का युग है जिसका अर्थ है- जनता का राज्य जनता में सभी प्रौढ़ स्त्री व पुरुष भी शामिल है तथा शिक्षा की द्रष्टि से यदि विचार किया जाये तो सभी को शिक्षा प्राप्ति का समान अधिकार है |

Ø  स्त्री शिक्षा के महत्व एवं सार्थकता को विद्वानो के निम्नलिखित ढंग से भी व्यक्त किया है –

·         “माँ सर्वेत्तम शिक्षिका होती है |

·         माँ हज़ार शिक्षिकों के बराबर होती है |”

बालिका शिक्षा को लेकर आज समाज में बहुत सी समस्या उपन्न हो गयी हे जैसे- बालिका विध्यालयों के अभाव की समस्या, भेदभाव/जाति-पाति की समस्या, दोषपूर्ण पाठ्यक्रम की समस्या, ग्रामीण क्षेत्रो में पिछड़ापन होना, आस-पड़ोस के लोग पढ़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते है, आर्थिक स्थिति ठीक ना होना, माता-पिता का शिक्षित ना होना, स्कूल/कॉलेज में अच्छे अध्यापक और वातावरण ठीक ना होना, भाई-बहन की संख्या ज्यादा होना, महिलाओ के अधिकारो के प्रति जागरूक ना होना, स्कूल दूर होना आदि |

जो कि बालिकाओ को अशिक्षित होना का कारण बन सकती है,  भारत कि नवीन सामाजिक व्यवस्था में 14 वर्ष तक कि बालिकाओ की नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा पर बहुत ज़ोर दिया गया तथा राज्य सरकारों को भी इस दिशा में समुचित कदम उठाने को कहा गया |

परंतु अभी भी महिलाओ के लिए सरक्षता एवं सर्वभौमिकता प्रोग्राम की तीव्र गति से विकसित किए जाने की आवश्यकता ऐसे ग्रामीण क्षेत्रो में है, जहां साक्षरता  प्रतिशत न्यूट है | इसके लिए छात्राओ हेतु अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था लागू करने, बालिकाओ की बालकों से अधिक छात्रव्रत्ति देने जाने की व्यवस्था चलायी जानी चाहिए तथा उन्हें विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए |

 




बालिका शिक्षा के सम्बन्ध में भावी समाज के निर्माण में निम्नलिखित ध्यान देना चाहिए !

1.      भविष्य में महिला शिक्षा पर विशेष बल दिया जाना चाहिए |

2.      लड़के तथा लड़कियो में चले आ रहे भेदभाव को समाप्त किया जाए |

3.      बालिका शिक्षा के प्रसार के लिये योग्य अध्यापिकाएँ, जो ग्रामीण क्षेत्रो में कार्य करने की इच्छुक हो, अधिक संख्या में नियुक्ति की जायें |

4.      केंद सरकार वा राज्य सरकारो द्वारा महिला शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया जाये |

5.      बालिका एवं बालक विध्यालय को समान सुबिधायें दी जाये |

बच्चे सबसे अधिक माताओं के सम्पर्क में रहा करते हैं। माताओं के संस्कारों, व्यवहारों व शिक्षा का प्रभाव बच्चों के मन-मस्तिष्क पर सबसे अधिक पड़ा करता है। शिक्षित माता ही बच्चों के कोमल व उर्बर मन-मस्तिष्क में उन समस्त संस्कारों के बीज बो सकती है जो आगे चलकर अपने समाज, देश और राष्ट्र के उत्थान के लिए परम आवश्यक हुआ करते हैं।

नारी का कर्त्तव्य बच्चों के पालन-पोषण करने के अतिरिक्त अपने घर-परिवार की व्यवस्था और संचालन करना भी होता है। एक शिक्षित और विकसित मन-मस्तिष्क वाली नारी अपनी आय, परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता आदि का ध्यान रखकर उचित व्यवस्था एवं संचालन कर सकती है। अशिक्षित पत्नी होने के कारण अधिकांश परिवार आज के युग में नरक के समान बनते जा रहे हैं। अतः विद्वानों का कथन है कि गृहस्थी के कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है।

विश्व की प्रगति शिक्षा के बल पर ही चरम सीमा तक पहुँच सकी है। विश्वसंघर्ष को जीतने के लिए चरित्र-शस्त्र की आवयश्कता पड़ती है। यदि नारी जाति अशिक्षित हो, तो वह अपने जीवन को विश्व की गति के अनुकूल बनाने में सदा असमर्थ रही है। यदि वह शिक्षित हो जाए तो उसका पारिवारिक जीवन स्वर्गमय हो सकता है और उसके बाद देश, समाज और राष्ट्र की प्रगति में वह पुरुषों के साथ कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चलने में समर्थ हो सकती है। भारतीय समाज में शिक्षित माता गुरु से भी बढ़ कर मानी जाती है, क्योंकि वह अपने पुत्र को महान् से महान् बना सकती है।

आज स्वयं नारी समाज के सामने घर-परिवार, परिवेश-समाज, रीति-नीतियों तथा परम्पराओं के नाम पर जो अनेक तरह की समस्याएँ उपस्थित हैं उनका निराकारण नारी-समाज हर प्रकार की शिक्षा के धन से सम्पन्न होकर ही कर सकती है। इन्हीं सब बुराइयों को दूर करने के लिए नारी शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है। सशिक्षा के द्वारा नारी जाति समाज में फैली कुरीतियों व कुप्रथाओं को मिटाकर अपने ऊपर लगे लाँछनों का सहज ही निराकरण कर सकती है।

 

 महत्व -  

उपयुक्त विवेचना से स्पष्ट है कि महिला शिक्षा समाज एवं देश के लिए अत्यंत आवश्यक है| अतः आने वाली कठनाइयों का समाधान करते महिला शिक्षा का विकास करना होगा जिसमें स्त्रियो की उन्नति एवं विकास हो सकें और देश प्रगति के शिखर पर चढ़कर अपने को विकसित देश के रूप में विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर सके | इसलिए स्त्री शिक्षा अत्यंत आवश्यक है | जैसे कि “ एक पुरुष के शिक्षित होने पर एक व्यक्ति ही शिक्षित होता है, परन्तु एक स्त्री के शिक्षित होने पर एक परिवार शिक्षित हो जाता है |”

 

 

समस्या का परिभाषिकरण -  

बालिका, जिसके जन्म पर घर मे कोई प्रसन्न नही होता , जो जीवनभर सामाजिक कुरीतिया, भेदभाव, प्रताड्ना उत्पीड़न, कुपोषड और शोषण का शिकार होती रहती हे, ऐसी बालिका के लिए शिक्षा ही एक ऐसा अस्त्र बन सकता है | जो न केवल उसे उसके नैतिक सामाजिक और शैक्षित अधिकार दिलाएगी, बल्कि उसे जीवन में आने वाली कठनाइओ के सामने एक सशक्त महिला के रूप में करेगा |

अतः बालिका के साथ शिक्षा के संबंध को नकारा नहीं जा सकता है |

अध्यन के उद्देश्य 

अभिभावक  बालिकाओ को अधिक से अधिक शिक्षा ग्रहण करवानी चाहिए |

भारत की उन्नति के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरुरी है क्योंकि अपने बच्चों की पहली शिक्षक माँ ही होती है जो उन्हें जीवन की अच्छाईयों और बुराइयों से अवगत कराती है। ... इसलिए यह बहुत जरुरी है कि महिलाओं को उनकी शिक्षा का हक़ दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह से पुरुषों से कम न समझा जाए।

इस कारण आने वाली पीढ़ी कमज़ोर हो जाएगी। हम महिला साक्षरता के सारे लाभ की गिनती तो नहीं कर सकते पर इतना जरुर कह सकते है की एक शिक्षित महिला अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती है, उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान दे सकती है, सामाजिक तथा आर्थिक कार्य करके देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकती है।

 

अनुसंधान विधि –  

प्रयुक्त सर्वेक्षण कार्य बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक” में वर्णनात्मक अनुसंधान की सर्वेक्षण विधि से कार्य किया गया है |

 

जनसंख्या -   

प्रस्तुत बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक” का सर्वे करने के लिए काशीराम कालोनी शाहजहाँपुर की जनसंख्या पर किया गाय है |

 

न्यायदर्श -   

प्रस्तुत बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक” के सर्वे कार्य के लिये काशीराम कालोनी शाहजहाँपुर के 20 परिवार लिये गए है |

 

उपकरण   निम्न बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक” के लिये हस्तलिखित प्रशनों का उपयोग किया गया है |

 

आकड़ों का विश्लेषण -   

प्रस्तुत बालिका शिक्षा को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक” का सर्वे करने पर आकडे कुछ इस प्रकार पाएगे कि,

अभिभावक बालिकाओ को शिक्षा प्राप्त करवाते है कुछ अभिभावक अशिक्षित है वह अपनी बालिकाओ को शिक्षा दिलाने में असमर्थता दिखाते है, अभिभावक बालिकाओ को दूर स्कूल नही भेजना चाहते हे और सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओ कि जानकारी अभिभावक रखते हे, बालिकाओ को सिलाई-कढ़ाई कि शिक्षा प्राप्त करवाई जाती हे, अभिभावक शिक्षा का महत्व समझते हे और बालिकाओ को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करते हे | और लिंगानुपात और भेदभाव का कारण भी होता हे |

 

निष्कर्स -  

बालिका शिक्षा परिवार और समाज आदि के लिये अतिमहत्वपूर्ण है, महिला परिवार आय मे योगदान लाती है और परिवार मे बच्चो के लिये यह प्राथमिक शिक्षा होती है | इस सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है कि महिलाएँ जितनी अधिक शिक्षित होती हैं, उनके बच्चों को उतना ही अधिक पोषण आधार मिलता है। महिलाओं को शिक्षित करना भारत में कई सामाजिक बुराइयों जैसे- दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या और कार्यस्थल पर उत्पीड़न आदि को दूर करने की कुंजी साबित हो सकती है। यह निश्चित तौर पर देश के आर्थिक विकास में भी सहायक होगा, क्योंकि अधिक-से-अधिक शिक्षित महिलाएँ देश के श्रम बल में हिस्सा ले पाएंगी।

 

 

ALOK VERMA  (M.Ed 1st Year)